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SAI INTERNATIONAL SCHOOL
SLRC
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Grade – VI - 2 Language - HINDI
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Lesson Notes –
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भाषा क माध्यम स जो मानव – व्यवहार होता ह , उसम पत्र एक महत्वपर् माध्यम ह l जब हम आमन े
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– समन नही होत तो पत्र क मध्यम स हमारी भौगोलिक दररयोों को कम करक हम एक – दसर स रु
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– ब – रु हो जात ह l और अपनी अलभव्यक्ति कर ित ह l पत्र क माध्यम स हम अपन व्यवहार म ें
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अलिक सयत , लववकशीि और सजनशीि हो सकत ह l इसलिए पत्रोों क द्वारा होनवािा सम्पक
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अनक बार प्रत्यक्ष या फ़ोन पर लकय जानवाि वातािाप स अलिक उपयि और अर्वान हो जाता ह l
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कई बार हम जो बात प्रत्यक्ष ऱूप स नही कह सकत , उस पत्र क माध्यम स व्यि कर सकत ह l
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इसलिए पत्र दो व्यक्तियोों की भौगोलिक दररयोों की लववशता का ही पररर्ाम नही ह , यह अपन – आप
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म अलभव्यक्ति का एक अपररहाय लवलशस्र् मध्यम ह , इसलिए एक ही स्र्ान पर रहन वाि व्यक्तियोों
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को भी पत्र – िखन आवश्कता पड़ सकती ह l अत : पत्र – िखन की महता और कौशि को जानना
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सम्पर् मानव व्यवहार को अलिक अर्वान और किात्मक बनाता ह l
पत्रों का वर्गीकरण : Types of Hindi Letter
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पत्रोों को प्रमख ऱूप स दो भागो म वगीकत लकया जा सकता ह
1. औपचाररक-पत्र : Aupcharik Patra
2. अनौपचाररक-पत्र : Unaupcharik Patra
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औपचाररक -पत् ककस कहत ह
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औपचाररक पत् उन्ह लिखा जाता ह लजनस हमारा कोई लनजी सबि ना हो। व्यवसाय स सबिी,
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प्रिानाचाय को लिख प्रार्ना पत्, आवदन पत्, सरकारी लवभागोों को लिख गए पत्, सपादक क
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नाम पत् आलद औपचाररक-पत् कहिात ह। ... इन पत्रोों म कवि काम या अपनी समस्या क बार म ें
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ही बात कही जाती ह।
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