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SAI INTERNATIONAL SCHOOL
SLRC
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Grade – VI - 2 Language - HINDI
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Home Assignment -
परोपकार
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किसी िकि न ठीि ही िहा ह- ‘यही पश ह कि आप-आप ही चर, िही मनष्य ह कि जो
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मनष्य ि किए मर। परकहत या परोपिार ही मानि-जीिन िा धम ह। परोपिार िी भािना
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ि कबना मनष्य और पश म िोई अतर नहीं रह जाता। इस ससार ि सभी तत्व मनष्य ि
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उपिार म िग हुए ह। नदी अपना जि स्वय नहीं पीती। िक्ष अपन फि स्वय नहीं खात;
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िर्ा अपन किए नहीं बरसती; िाय अपन किए नहीं चिती। अनि महापरुर्ों तथा साध-सतों
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िा जीिन भी इस बात िा साक्षी ह कि दसरों ि किए जीिन ही िास्तकिि जीिन ह। स्वामी
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किििानद, महात्मा गाधी, मदर टरसा, आकद ि जीिन म यह भिी-भाकत स्पष्ट हो जाता ह
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कि मानि िो सदि परोपिार म िगा रहना चाकहए।
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स्वास्थ् ही धन ह।
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स्वास्थ् हमार किए सबस बडा धन ह। यकद किसी ि पास धन हो तो िह जीिन ि िछ
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सखों स िकचत रह सिता ह; िकिन स्वास्थ् न हो तो उस किसी प्रिार िा सख नहीं कमि
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सिता। स्वास्थ् अच्छा न होन पर मन हर समय खखिा रहता ह। अच्छ स अच्छा खाना भी
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अकप्रय िगता ह। व्यखि सर-सपाट िा आनद नहीं उठा सिता। बीमार व्यखि िो अच्छी
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बात भी बरी िगती ह। अतः अपन स्वास्थ् पर परा ध्यान रखना चाकहए। इसि किए
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सतकित भोजन, गहरी नींद, समय पर शयन एि जागरण इत्याकद िा ध्यान रखना
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चाकहए।अच्छ स्वास्थ् ि इच्छि व्यखि िो कनयकमत व्यायाम िरना चाकहए। उस कचता स
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दर रहना चाकहए तथा हर समय प्रसन्न रहना चाकहए। कचत्त िी प्रसन्नता सौ तरह िी व्याकधयों
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स बचाती ह और सयकमत जीिन व्यखि िो स्वास्थ् बनान म अहम योगदान दता ह।
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इसकिए सच ही िहा गया ह कि स्वास्थ् िीमती ह, इसिी हर प्रिार स रक्षा िरन िा
उपाय िरना चाकहए।